अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनका अकादमिक जीवन शानदार था, लेकिन उनके मन में हमेशा एक सवाल गूंजता था—“जीवन का असली मकसद क्या है?”
यह कहानी है अभय सिंह की, जिन्हें आज दुनिया आईआईटी बाबा या मसानी गोरख के नाम से जानती है। एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसने 35 लाख के पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर आध्यात्मिकता की राह पकड़ ली। महाकुंभ में उनके गहरे विचारों ने लोगों को इतना प्रभावित किया कि उनकी कई वीडियो वायरल हो गईं। लेकिन यह सफर आसान नहीं था, यह आत्म खोज और आंतरिक शांति की यात्रा थी, जो उन्होंने आईआईटी बॉम्बे के गलियारों से शुरू की थी।
आईआईटी बाबा – फोटो : अमर उजाला
आईआईटी से आध्यात्मिकता तक: एक अनूठी यात्रा
अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनका अकादमिक जीवन शानदार था, लेकिन उनके मन में हमेशा एक सवाल गूंजता था—“जीवन का असली मकसद क्या है?”
जहां उनके दोस्त गणितीय समीकरणों और तकनीकी प्रोजेक्ट्स में उलझे रहते थे, वहीं अभय किसी और ही दुनिया में खोए रहते। उन्होंने महसूस किया कि असली सफलता केवल डिग्रियों, पैसों और करियर में नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष और जीवन के गहरे रहस्यों की खोज में है।
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रचनात्मकता की खोज: जब कैमरा बना गुरु
तकनीकी दुनिया में करियर बनाने के बजाय अभय ने कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने डिजाइन में मास्टर्स किया और अपनी रचनात्मकता को निखारने के लिए फोटोग्राफी की ओर रुख किया। यह सिर्फ तस्वीरें खींचने का शौक नहीं था, बल्कि दुनिया को एक नए नजरिए से देखने की कोशिश थी। उन्होंने कई लोगों को फोटोग्राफी की कोचिंग दी, जिससे उनकी कला को भी एक नया अर्थ मिला।
जब शिव की भक्ति बन गई जीवन का ध्येय
फोटोग्राफी और रचनात्मकता के इस दौर में भी अभय का मन पूरी तरह शांत नहीं था। उनकी आत्मा कुछ और ही खोज रही थी। कुछ जो बाहरी दुनिया से परे था। धीरे-धीरे वे भगवान शिव की भक्ति और ध्यान में रमने लगे। योग, ध्यान और प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अध्ययन ने उन्हें आत्म-साक्षात्कार के करीआईआईटी बाबा: महाकुंभ में विचारों का संगम
जब वे महाकुंभ में पहुंचे, तो लोगों ने उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुना। उन्होंने विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का ऐसा मिश्रण प्रस्तुत किया, जिसने युवाओं को खासा प्रभावित किया। वे कहते हैं, “हर व्यक्ति के भीतर दिव्यता छिपी होती है, बस उसे जगाने की जरूरत है।”